जानिए तखत बाईसा कौन है ? कलयुग में आवड़ का अवतार शक्ति स्वरूपा

बाड़मेर जिले के शिव तहसील के देवका गांव में गेमरदान बारहठ के घर कन्या के रुप में जन्मे शक्ति स्वरूपा मां आवड़ उपासक आई श्री तखत बाईसा जो जन्म से ही मां आवड़ की पुजा अर्चना/आराधना करतें हैं।

श्री तखत बाईसा

श्री तखत बाईसा की तपस्या का स्थान 

पिछले 4 वर्ष से श्री तखत बाईसा मातेश्वरी जगत जननी मां आवड़ तेम्बडेराय की बंद गुफा में कठोर तपस्या को सम्पन्न करके  शाम 7 बजें श्री करणी माता मन्दिर देवका में सिंह गर्जना के साथ साक्षात दर्शन दिए। हजारों की तादाद में उमड़ी भीड़।

श्री तखत बाईसा ने रात को 10 बजें देवका में बनें सभी देवी स्थलों के दर्शन किए जैसे देवल माता मन्दिर, जोमा माता मन्दिर, आईनाथ माता मन्दिर, माजीसा मंदिर आदि। आई श्री तखत बाईसा जो पिछले 4 वर्ष से बंद कमरें में व उसके अंदर भी ध्यान लगाने व पुजा अर्चना के लिए गुफा बनाई हुई हैं।

जहा श्री तखत बाईसा तपस्या करते है ,उस कमरें व गुफा के अंदर ना लाईट हैं ना ही कोई पंखा कुलर। उस कमरें के अंदर 2 सांप भी रहते हैं। जो आम भक्तों को सांप सोमवार को ही दर्शन देते हैं। व आई श्री तखत बाईसा के और भी अनेकों पर्चे भी है। सुबह बिना किसी को बताएं अकेले ही रवाना हुए देवका से हडवेचा गोमा माता मन्दिर पैदल यात्रा के लिए।

हडवेचा गोमा माता मन्दिर पहुंचते ही करणी माता का सांवली रुप में दर्शन हुआ आई श्री तखत बाईसा को व सभी भक्तों को भी। आई श्री तखत बाईसा द्वारा यंहा पर पधारें सभी भक्तों को अपने हाथ से फलाहार प्रसादी वितरण की व आशीर्वाद स्वरूप दो शब्द भी कहें।

श्री तेमड़े राय मन्दिर के बारे मे 

यह श्री तेमड़े राय मन्दिर स्थान जैसलमेर शहर से 25 की. मी. दक्षिण की तरफ़ बना हुआ  हें |इस स्थान को दूसरा हिंगलाज स्थान के नाम से जाना जाता हें |इस पर्वत पर तेमड़ा नामक विशालकाय हुण जाति का असुर रहता था | जिसको मातेश्वरी ने उक्त पर्वत की गुफा मे गाड़  दिया था उसके ऊपर एक भयंकर पत्थर रख दिया था जो आज भी वहा मोजूद हें | यहाँ मातेश्वरी ने काफी समय निवास किया| मैया का परिवार कुछ समय इस माड़ प्रदेश मे रहा फ़िर वापिस कच्छ प्रान्त अपने वतन को चले गए | 

मातेश्वरी ने सन 999 को सातों बहनों सहित हिंगलाज धाम को गमन किया ,तब तत्कालीन शाशक श्री देवराज ने इस पर्वत पर मन्दिर बनाया | यहाँ मेलार्थी आने लगे | मैया के प्रति भक्तो की आस्था मे बढोतरी हो गई |वर्त्तमान मे हजारो आदमी पैदल व अपने साधनों से प्रति वर्ष मैया के आलोलिक रूप का दर्शन करते हें|  मैया सब की पुकार सुनती हें अभी कुछ सालो पहले किसी ने चार भुजा धरी शेरो वाली मैया की मूर्ति स्थापित कर दी मैया की प्रत्येक मूर्ति सात रूपों मे हें |

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